शनिवार, 26 अगस्त 2017

RDX की बरामदगी कैसे हुई क्या कांग्रेस ISI का गठजोड़ था?

कर्नल पुरोहित को जमानत मिल जाने पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी वालों का गुस्सा टीवी पर देखा ? कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रिय कार्यकारिणी के सदस्य अमीर हैदर जैदी तो बारम्बार कह रहे हैं कि NIA को भंग कर देना चाहिए | जब कांग्रेस के राज में ATS और NIA "भगवा आतंकवाद" सिद्ध करने के लिए फर्जी सबूत बना रहे थे तब तो ठीक था, अब NIA भंग करने लायक बन गयी है | गृहमन्त्री ऐसे आस्तीन के साँपों की कड़ी निन्दा भी नहीं कर पाते ।
कम्युनिस्ट नेता अमीर हैदर जैदी का सबसे अधिक गुस्सा इस बात का है कि कर्नल पुरोहित को सम्मानित करने वाला सेना का दस्तावेज टीवी तक कैसे पँहुच गया, इस बात का उनको कष्ट नहीं है कि सेना द्वारा सम्मानित एक देशभक्त और बहादुर अफसर को बिना चार्जशीट के और मकोका हटने के बाद भी नौ साल तक जेल में क्यों रखा गया ! इनलोगों के पास सबूत थे तो चार्जशीट दाखिल कराकर विधिवत मुकदमा क्यों नहीं चलाया ?
सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बयान है अवकाशप्राप्त मेजर-जनरल विशम्भर दयाल महोदय का | उन्होंने कहा है कि सेना के अफसर द्वारा RDX के इस्तेमाल जैसे  मामलों की जाँच के लिए ATS या NIA से भी बेहतर और सक्षम जाँच की मशीनरी तो सेना के पास है, ऐसे मामलों की जाँच सेना स्वयं करती है, असैन्य एजेंसियों को कार्यरत सैन्य अधिकारियों की जाँच करने ही नहीं देती | अतः कर्नल पुरोहित की सही जाँच सेना ने स्वयं क्यों नहीं की और ATS को जाँच करने ही क्यों दिया, इसमें सेनाध्यक्ष की भूमिका की जाँच होनी चाहिए !!
उस समय जो महानुभाव सेनाध्यक्ष थे उन्होंने ही षड्यन्त्र करके जनरल वी के सिंह का भी कैरियर बिगाड़ा था | जनरल वी के सिंह ने जब सेना में भर्ती हेतु आवेदन दिया था तो उनके चाचा ने आवेदन पत्र भरा था जिसमें जन्मकाल में एक वर्ष की त्रुटि हो गयी थी | उसी समय मैट्रिक का प्रमाणपत्र सेना को देकर वी के सिंह जी ने दस्तावेज दुरुस्त करवा दिया था | किन्तु 2006 में रक्षा मन्त्रालय ने भविष्य में सेनाध्यक्ष बनने योग्य वरीय पदाधिकारियों की सूची बनायी तो उसमें वी के सिंह का नाम रक्षा मन्त्रालय को पसन्द नहीं आया क्योंकि वे रक्षा उपकरणों की खरीद में घोटाला करने वाली माफिया को नापसन्द थे | तब वी के सिंह के पुराने गलत आवेदन पत्र को ढूँढकर उसी को मूल दस्तावेज मानने का निर्णय लिया गया ताकि वी के सिंह को एक वर्ष पहले ही रिटायर किया जा सके | इसके विरुद्ध वी के सिंह ने रक्षा मन्त्रालय में अर्जी दी और मौखिक तौर पर अदालत जाने की धमकी दी | रक्षा मन्त्रालय ने उनकी अर्जी को अनदेखा किया, किन्तु रक्षा मन्त्रालय को पता था कि वी के सिंह यदि अदालत चले गए तो मुकदमा जीत जायेंगे और रक्षा मन्त्रालय की किरकिरी हो जायेगी | तब एक षड्यन्त्र रचा गया | सेनाध्यक्ष ने वी के सिंह को मुख्यालय बुलाया और कहा कि रक्षा मंत्रालय में आपकी बात कोई नहीं सुनेगा, अतः वहां आप वैसा ही लिखकर दे दें ताकि मामला समाप्त हो जाय, उसके बाद मामला मेरे हाथों में चला आयेगा, उसके बाद आप जो चाहते हैं वैसा ही सही निर्णय मैं कर दूंगा | वी के सिंह ने गलती यही की कि सेनाध्यक्ष पर भरोसा कर लिया और लिखकर दे सिया कि रक्षा मंत्रालय की बात से वे सहमत हैं (अर्थात गलत जन्मतिथि को ही सही मान ली)| किन्तु बाद में सेनाध्यक्ष मुकर गए, बोले कि मैंने कोई आश्वासन नहीं दिया था ! बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने भी वे के सिंह की याचिका यह कहकर ठुकरा दी कि आपने रक्षा मन्त्रालय के निर्णय को सही माने की बात लिखकर दे चुके थे, अतः अब उसे गलत कहने का आपको अधिकार नहीं है !
मेजर-जनरल विशम्भर दयाल को इन बातों की जानकारी है | और भी बहुत से पाप हुए हैं | अतः मेजर-जनरल विशम्भर दयाल की यह मांग सही है कि सेना मुख्यालय ने अपने बहादुर और देशभक्त कर्नल को नौ सालों तक जेल में क्यों सड़ने दिया इसकी जाँच होनी चाहिए | बहुत से गड़े मुर्दे उखड़ेंगे | वर्तमान रक्षा मन्त्री नहीं चाहेंगे कि सेना के शीर्ष में घुसे माफिया के सदस्यों पर कोई कार्यवाई हो | अतः आपलोग ईमेल लिख-लिखकर और अन्य माध्यमों द्वारा रक्षा मन्त्री का जीना हराम कर देंगे तभी कर्नल पुरोहित का जीवन नष्ट करने वाले सेना के उन अधिकारियों को दण्ड मिलेगा | यह बात ध्यान देने योग्य है कि कर्नल पुरोहित के मामले में सेना के कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी में 76 सैन्य अधिकारियों की गवाही हुई, सबने कर्नल पुरोहित के पक्ष में ही बयान दिया | यह सिद्ध करता है कि कर्नल पुरोहित के प्रति सेना में अपार समर्थन और गद्दारों के विरुद्ध आक्रोश है | आक्रोश नहीं होता तो मेजर-जनरल विशम्भर दयाल टीवी पर बयान नहीं देते कि सेनाध्यक्ष की भूमिका की जाँच होनी चाहिए जिन्होंने सेना को जाँच करने से रोका और ATS को जाँच करने दिया | सबसे महत्वपूर्ण यह बात है कि सेना के ही एक अधिकारी ने सेना के मुख्यालय का (फर्जी या सही ?) आज्ञापत्र दिखाकर कर्नल पुरोहित को धोखा देकर अगवा किया तथा ATS के हवाले किया | क्या इन बातों की जाँच नहीं होनी चाहिए ? तब सेना मुख्यालय ने कर्नल पुरोहित को "लापता" घोषित कर दिया था, उनको ढूँढने का प्रयास तक नहीं किया !!
जो सैनिक आपकी जान बचाने के लिए अपनी जान हथेली पर लिए रहते हैं उनके पक्ष में आपलोग आवाज नहीं उठाइएगा तो क्या पाकिस्तान से यह आशा की जाय ? PMO पर दवाब दें, भाजपा ओर संघ मुख्यालयों को लिखें, सेना मुख्यालय को पत्र या ईमेल लिखें कि कर्नल पुरोहित का मामला सेना ने स्वयं क्यों नहीं सम्भाला इसकी जाँच सेना द्वारा हो |
कर्नल पुरोहित को जब सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठ की जासूसी करने का प्रभार सेना द्वारा मिला था तब अपने प्रभार से भी आगे बढ़कर उन्होंने घुसपैठियों की गोलीबारी के बीच दौड़कर उनको खदेड़ने के अभियान का नेतृत्व  किया -- इस बात पर सेना ने जो प्रशंसा की उसका भेद टीवी तक क्यों पँहुचा इस बात का कष्ट CPI के नेता को है | बिना सबूत और बिना चार्जशीट के नौ साल तक वह अधिकारी जेल में रहा इसका कष्ट नहीं है, क्यों जमानत मिली इसका कष्ट है ! इतना कष्ट तो पाकिस्तान ने भी व्यक्त नहीं किया !! अतः केरल में ये लोग जिस प्रकार हिन्दू स्वयंसेवकों की हत्या कर रहे हैं उसका उत्तर दिल्ली में बैठे उनके सर्वोच्च नेताओं को आपलोग भी दीजिये |
नौ वर्ष कारावास को छोड़कर भी देखें तो उससे पहले 14 वर्षों की सेवा में कर्नल पुरोहित नौ वर्षों तक परिवार से दूर देशसेवा में व्यस्त रहे | अतः कुल 23 वर्षों में से केवल 5 वर्ष ही परिवार से सम्पर्क रख सकें !! ऊपर से पर देशद्रोह का आरोप, और उन्हें निर्दोष सिद्ध करने वाले सबूतों के सामने आने पर गुस्सा ! इन गुस्सा करने वाले देशद्रोहियों को आमलोगों ने अपना गुस्सा नहीं दिखाया तभी न टीवी पर गुस्सा दिखाने की हिम्मत जुटा रहे हैं !! अतः आपलोग भी अपना गुस्सा दिखाएँ, लेकिन कानूनी तरीके से -- सेना में घुसे गद्दारों की जाँच कराने के लिए पत्र लिखें | रक्षामन्त्री को भी लिखें, किन्तु केवल उनको ही लिखेंगे तो कुछ नहीं होगा | रक्षा सचिव भी नहीं चाहेंगे | वे लोग "शान्ति" पर प्रवचन देंगे |  हालाँकि इस मामले में निर्णय यही दो व्यक्ति ले सकते हैं | अतः चौतरफा दवाब डलवायें -- PMO द्वारा और सेना मुख्यालय द्वारा, एवं सोशल माफिया पर प्रचार द्वारा |
अमीर हैदर जैदी साहब, सोवियत संघ में सात दशकों तक कम्युनिज्म रहने के बाद भी आपके मजहब के लोगों की दुम सीधी नहीं हुई जिस कारण KGB के प्रमुख रह चुके पुतिन साहब आपके बन्दों पर कड़ी कार्यवाई करते हैं, केवल कड़ी निन्दा नहीं करते ! चीन में भी आपके मजहब के लोग गुण्डागर्दी करते हैं तो कम्युनिस्ट पार्टी ही उनकी खबर लेती है ! केवल भारत में आपके लोगों ने कम्युनिस्ट पार्टी को भी हाईजैक कर रखा है, वरना एक भी "शान्तिप्रिय" मुल्क में कम्युनिस्ट पार्टी का वजूद कार्यालय से बाहर नहीं है | संख्या कम हो तो आपलोग लेबल बदलकर कार्य करते हैं, कभी कांग्रेसी बन जाते हैं तो कभी कम्युनिस्ट, लेकिन संख्या बढ़ते ही इस्लामी राष्ट्र थोपते हैं !! कश्मीर घाटी में एथनिक क्लींसिंग के विरुद्ध किसी भी कांग्रेसी या कम्युनिस्ट नेता ने कभी मुँह खोला ? भारत में हिन्दू होना ही सम्प्रदायवाद है, और मुसलमान या उनका समर्थक होना सेक्युलरिज्म हैं, जैसे कि इस्लाम एकमात्र सेक्युलर मजहब हो और इस्लामी राष्ट्र एकमात्र सेक्युलर राष्ट्र हो !!!
कर्नल पुरोहित की जमानत पर अमीर हैदर जैदी का गुस्सा देखकर मन कर रहा था कि टीवी पर ही एक घूँसा जड़ दूं !! लेकिन अपना टीवी ही फूटता !
NIA ने कर्नल पुरोहित को जमानत देने का विरोध किया यह कांग्रेसी मीडिया का झूठा प्रचार है | NIA की रिपोर्ट का आधार सेना के कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की रिपोर्ट ही है जिसमें कर्नल पुरोहित को निर्दोष कहा | NIA की रिपोर्ट के आधार पर ही कर्नल पुरोहित को जमानत मिली | लेकिन मीडिया में यह झूठी खबर चलाई गयी थी कि NIA ने जमानत का विरोध किया ! एक सबूत प्रस्तुत है -- कांग्रेस के भूतपूर्व सांसद बिडला के अखबार का यह समाचार है 26 जुलाई 2017 का (सर्वोच्च न्यायालय में हाल की जमानत याचिका पर सुनवाई का यह समाचार है !!) , जिनके निजी विमान पर अरविन्द केजरीवाल मुफ्त में घूमते हैं (ऐसी झूठी और देशद्रोही मीडिया पर कानूनी कार्यवाई की मांग सरकार और प्रेस क्लब को लिखकर भेजिए) -- http://www.hindustantimes.com/india-news/nia-opposes-malegaon-blast-case-accused-lt-col-purohit-s-bail/story-CvgPQb71vTbmYT1IeDPBTI.html

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